उत्तराखंड के जंगल गांव Rampur, Leti और Chopra के लोगों को पहली बार मिलेगा मतदान का अधिकार, 77 सालों बाद लोकतंत्र में मिली पहचान
नैनीताल जिले के तीन जंगल गांव – रामपुर, लेटी और चोपड़ा – के 1,300 से अधिक लोग इस बार के पंचायत चुनावों में पहली बार वोट डाल पाएंगे। आज़ादी के 77 साल बाद इन बस्तियों को राजस्व ग्राम का दर्जा मिला है, जिससे इन लोगों को ना सिर्फ़ वोट देने का हक मिला, बल्कि सरकारी योजनाओं का लाभ लेने का रास्ता भी खुल गया।
इन गांवों में रहने वाले लोग टोंगिया समुदाय से हैं, जो ब्रिटिश शासन के दौरान शुरू की गई एक खास वन योजना से जुड़े थे। इस योजना में लोगों को जंगल साफ कर पेड़ लगाने के बदले खेती की अस्थायी अनुमति दी जाती थी। जैसे-जैसे पेड़ बड़े होते गए, इन लोगों से वहां से हटने की उम्मीद की जाती थी। लेकिन कई परिवार यहीं बस गए और धीरे-धीरे ये गांव बनते चले गए।
1980 में लागू हुए वन संरक्षण अधिनियम के बाद इन गांवों को किसी भी तरह की कानूनी पहचान नहीं मिली। ना जमीन के अधिकार, ना बिजली-पानी, ना स्कूल, ना राशन की दुकान – मानो ये गांव नक्शे पर थे ही नहीं।
लेकिन अब, उत्तराखंड सरकार के एक महत्वपूर्ण नीति परिवर्तन के बाद इन गांवों को राजस्व ग्राम घोषित किया गया है। इसका सीधा मतलब है – ये गांव अब सरकारी दस्तावेजों में शामिल हैं, और यहां के लोगों को मतदान, विकास और अधिकार का हक है।
“पहली बार वोट डालेंगे, अब हम भी बराबर के नागरिक हैं”
लेटी गांव के एक निवासी ने कहा – “पहली बार हम वोट डाल पाएंगे। पहले हमें ये अधिकार ही नहीं था। अब लगता है कि हम भी बराबर के नागरिक हैं।” वहीं रामपुर के रमेश चंद्रा ने कहा – “अगर मुखिया हमारा होगा, तो हमारे गांव में विकास भी ज़रूर आएगा।”
- चोपड़ा ग्राम पंचायत में अब 416 रजिस्टर्ड वोटर हैं।
- लेटी में 367 और रामपुर में 519 मतदाता हैं।
- रामपुर और लेटी को अब पटकोट ग्राम सभा में शामिल किया गया है, जहां कुल 1,481 वोटर हैं।
- चोपड़ा को स्वतंत्र क्षेत्र पंचायत सीट मिली है, जिससे उनकी राजनीतिक भागीदारी भी सुनिश्चित हो गई है।
“सड़कें हैं लेकिन तार नहीं, हैंडपंप हैं लेकिन पानी नहीं”
इन गांवों में अभी भी कई समस्याएं हैं। सड़कें गांव तक नहीं पहुंचतीं, बिजली के खंभे लगे हैं लेकिन तार नहीं, और कई हैंडपंप सूखे हैं। लेकिन अब जब गांव को अधिकार मिले हैं, तो उम्मीद है कि विकास की रफ्तार भी पहुंचेगी।
सामाजिक कार्यकर्ता नरेंद्र शर्मा ने कहा – “इन लोगों के लिए ये चुनाव केवल मतदान नहीं, बल्कि एक नई पहचान की शुरुआत है।”
